Wednesday, February 17, 2010
१४ फेब्रुअरी..
आज के दिन लोग अपने प्यार का इज़हार गुलाबों से करते हैं, हमने सोचा क्यों न इस पर एक बात कह दी जाये इन दीवानों से,
वो गुलाबों में अपना दिल संजो के देते हैं,
हम सोचते हैं कि खुदा को बुतों के तोहफे क्यों देते हैं?
कैसी ये मोहब्बत जो कुछ फूलों में सिमट जाए,
हम तोह फूलों कि तस्वीर उनकी आँखों में देखते हैं।
जीना नहीं चाहता
हो जाएगी सहर जब आँखें पड़ेंगी इस पर,
पर वो सहर तेरे बिना मैं जीना नहीं चाहता।
सुन लूँगा साज़ जब रह जाएगी सिर्फ एक याद,
पर तुम्हारी आवाज़ के बिना मै जीना नहीं चाहता।
जाऊंगा जब मैं कहीं साथ होगा कोई और,
पर तेरे दीदार के बिना मैं जीना नहीं चाहता।
दिल में इतनी यादें और बेशुमार ये ग़म,
पर तेरी यादों कि ख़ुशी के बिना मैं जीना नहीं चाहता।
जीना नहीं चाहता फ़िराक की तारीकी में,
इस तारीकी में शमा मैं जला नहीं पाता।
और कैसा ये मंज़र तुम्हारे जाने से पहले,
कि इस शमा को जलाये बिना मैं मरना भी नहीं चाहता।
पर वो सहर तेरे बिना मैं जीना नहीं चाहता।
सुन लूँगा साज़ जब रह जाएगी सिर्फ एक याद,
पर तुम्हारी आवाज़ के बिना मै जीना नहीं चाहता।
जाऊंगा जब मैं कहीं साथ होगा कोई और,
पर तेरे दीदार के बिना मैं जीना नहीं चाहता।
दिल में इतनी यादें और बेशुमार ये ग़म,
पर तेरी यादों कि ख़ुशी के बिना मैं जीना नहीं चाहता।
जीना नहीं चाहता फ़िराक की तारीकी में,
इस तारीकी में शमा मैं जला नहीं पाता।
और कैसा ये मंज़र तुम्हारे जाने से पहले,
कि इस शमा को जलाये बिना मैं मरना भी नहीं चाहता।
Monday, February 1, 2010
लोक सभा चुनाव के पहले..
डूब गया है हर कोई इस शोर के समंदर में,
कैसे सुने कोई हकीकत की आवाज़ इस बवंडर में।
अनदेखी ताकतें खींची चली जाती हैं ज़हन को इस भंवर में,
तकदीर बेघर हो रही है खुद अपने ही घर में।
अँधा धुंध चलते जाओ कोई रास्ता तो निकल ही आयेगा,
पर गुलामी के कफ़न से क्या सय्याद तुम्हे बचाएगा?
फिर भी चलते जाओ, अंधे को कोई रास्ता तो दिखायेगा,
पर ये भी तो समझो की अंधे को अँधा क्या दिखलायेगा?
बैठ गयी है तान के एक धुन लेकिन हर मन में,
उस धुन को गाने और तुम्हे नचवाने कोई नेता ही आयेगा।
आजाद हो गए मगर आज़ादी नहीं देखी,
इस शब्द का अर्थ तो शायद तुम्हे भगवान ही बताएगा।
तो चलो मेरे साथियों वोट देते हैं,
अंधों के देश में राह आखिर कोई अँधा ही दिखायेगा।
और क्या फर्क पड़ेगा जो कोई भी जीते,
अंधों के देश को आखिर एक अँधा ही चलाएगा।
बारिश का जादू
अश्क
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