कहते हैं आप कि करें ना बात अगर लगते हैं आप हमे खफा,
कैसे निगलेंगे अल्फाज़ कैसे करेंगे खुद पे ये जफा।
कहते हो कि खुश हो तुम ग़लतफहमी है हमें,
ज़रा बताओ क्या दिखते नहीं हैं झुलसते फूल हमें?
कहते हो ना मोहब्बत करो इतनी कि कर पाओ ना कभी और,
हम चाहते ही नहीं मेरे आशना कि ज़िन्दगी में हो तुम्हारे सिवा कोई और।
तो करेंगे हम गुफ्तगू चाहे बचे ना गले में अल्फाज़,
इशारों में भी तोह दिल का हाल सुनाया जायेगा।
हम चाहते हैं आप रहो खुशनुमा,
वरना चैन भी ना हमें कभी आयेगा।
तुम चाहे चले जाओ दूर छोड़ कर हमें हिज्र में,
हर पल पलट कर दिल ये दिल तुमसे ही लगाएगा।
Thursday, April 22, 2010
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